सुधी विद्वतजनों को समर्पित यह पुस्तक लेखक के सीखने की सीढ़ी मात्र है। मैं जब इस पुस्तक की भूमिका पर विचार कर रहा हूँ तब मुझे भूमिका के स्थान पर अभिप्राय लिखना सर्वथा उचित प्रतीत हो रहा है। लेखक ने किन्ही विषम परिस्थितियों में रात्रि जागरण में सहायक होने के उद्देश्य से 1989 में ज्योतिष से सम्बन्धी पहली पुस्तक पढ़ी थी। ज्योतिष में विज्ञान सम्मत हलों को खोजने का सिलसिला आज भी अनावरत जारी है। इस दौरान अनेंक प्रश्नों ने परेशान किया, उनके उत्तर खोजनें में भी अनेक प्रश्नों का सामना करना पड़ा। इन्हीं प्रश्नों और उत्तरों की लहरों पर सवार हो कर मैं हस्तरेखा, कुण्डली, टैरो, अंकज्योतिष और ज्योतिष से जुड़ी विभिन्न विधाओं का अध्ययन करता रहा

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सुधी विद्वतजनों को समर्पित यह पुस्तक लेखक के सीखने की सीढ़ी मात्र है। मैं जब इस पुस्तक की भूमिका पर विचार कर रहा हूँ तब मुझे भूमिका के स्थान पर अभिप्राय लिखना सर्वथा उचित प्रतीत हो रहा है। लेखक ने किन्ही विषम परिस्थितियों में रात्रि जागरण में सहायक होने के उद्देश्य से 1989 में ज्योतिष से सम्बन्धी पहली पुस्तक पढ़ी थी। ज्योतिष में विज्ञान सम्मत हलों को खोजने का सिलसिला आज भी अनावरत जारी है। इस दौरान अनेंक प्रश्नों ने परेशान किया, उनके उत्तर खोजनें में भी अनेक प्रश्नों का सामना करना पड़ा। इन्हीं प्रश्नों और उत्तरों की लहरों पर सवार हो कर मैं हस्तरेखा, कुण्डली, टैरो, अंकज्योतिष और ज्योतिष से जुड़ी विभिन्न विधाओं का अध्ययन करता रहा
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Category: Literature & Fiction
Tags: Alok Mishra "Manmaoji", Hastkundali (Astropalmistry)
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