हिन्दी साहित्य में मुक्तक का इतिहास उतना ही पुराना है जितना कि इसके प्रचलन में आकर इसके स्वरूप को शीर्ष पर लाना; जब छायावाद का काल साहित्य मनीषियों के साहित्य में छाया हुआ था तब शायद उसे परिभाषित करना श्रेयस्कर नहीं समझा गया, लेकिन वर्तमान के परिपेक्ष्य में मुक्तक किसी भी विधा प्रस्तुति का आरम्भ या फिर अपने समापन के अंतिम प्रयोग के तौर पर इसे विशेष स्वरूप में रचित लिखित या कहकर समापन की तरफ बढना, इसकी आवश्यकता को इंगित करता है । मुक्तक विधा को पूर्व में भी अनेकानेक साहित्यकारों ने इसे अपनी तरह से लिखा भी और विवेचित भी किया, कम शब्दों में अधिकतम कथन की परम्परा में ही मुक्तक का बोध होता है, मुक्तक शब्द संस्कृत का तत्सम रूप है लेकिन इसका तद्भव रूप है मुक्ति है, तत्सम से चलकर तद्भव की यात्रा का इतिहास भी साहित्यक विधा की यात्रा जैसी ही रही है, समग्रता के भाव में मुक्तक का भाव और अर्थ इस तरह से संभव है.


Muktak Manuhar Dr. Kripashankar Mishra (Author)
₹350.00 Original price was: ₹350.00.₹300.00Current price is: ₹300.00.
हिन्दी साहित्य में मुक्तक का इतिहास उतना ही पुराना है जितना कि इसके प्रचलन में आकर इसके स्वरूप को शीर्ष पर लाना; जब छायावाद का काल साहित्य मनीषियों के साहित्य में छाया हुआ था तब शायद उसे परिभाषित करना श्रेयस्कर नहीं समझा गया, लेकिन वर्तमान के परिपेक्ष्य में मुक्तक किसी भी विधा प्रस्तुति का आरम्भ या फिर अपने समापन के अंतिम प्रयोग के तौर पर इसे विशेष स्वरूप में रचित लिखित या कहकर समापन की तरफ बढना, इसकी आवश्यकता को इंगित करता है । मुक्तक विधा को पूर्व में भी अनेकानेक साहित्यकारों ने इसे अपनी तरह से लिखा भी और विवेचित भी किया, कम शब्दों में अधिकतम कथन की परम्परा में ही मुक्तक का बोध होता है, मुक्तक शब्द संस्कृत का तत्सम रूप है लेकिन इसका तद्भव रूप है मुक्ति है, तत्सम से चलकर तद्भव की यात्रा का इतिहास भी साहित्यक विधा की यात्रा जैसी ही रही है, समग्रता के भाव में मुक्तक का भाव और अर्थ इस तरह से संभव है.
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